न भूत न भगवान, बस मन का है धोखा जो दिखता है सपना, वो है सच का रोका
क्या है ये संसार, क्या है ये माया क्या है ये प्रेम, क्या है ये साया
कुछ भी नहीं है स्थिर, सब पल-पल बदलता है कुछ भी नहीं है अपना, सब पल-पल छलता है
न भूत न भगवान, बस मन का है धोखा जो दिखता है सपना, वो है सच का रोका
दुनिया में है केवल इंसान ही इंसान.
© VishalDutia
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